Saturday 10 December 2016

माता की महिमा को जाना (39)


माता की महिमा को जाना


हमें बैष्णव माँ के दर्शन को जाना है। 
जरा जोर से जयकारा लगाना। 
कभी छल कपट दम्भ मन में न लाना। 
सभी माँ के चरणों में मन को लगना। 
वहाँ  जा के श्रद्धा सुमन है चढ़ाना। 
जरा जोर से जयकारा लगाना।
जिन्होंने है माता की महिमा को जाना।
जिन्हें माँ की सेवा से वरदान पाना। 
वही जा रहे संकल्प ठाना।

जरा जोर से जयकारा लगाना।
ऊँचे शिखर ये बिबर है पुराना। 
जहाँ माता रानी का मंदिर सुहाना। 
चलते ही जाना कही रुक ई जाना।
जरा जोर से जयकारा लगाना। 
 बड़ी टेढ़ी मेढ़ी है रहो पे  जाना। 
परीक्षा कठिन है न धीरज गवाना। 
हमें  अपने संकल्प को द्रढ़ बनाना।
जरा जोर से जयकारा लगाना। 
 मैं सेवक हूँ मैया मुझे न भुलना। 
मुझे करके निर्भय दरश भी दिखाना। 
हमें  अपना जीवन सफल है बनाना।
जरा जोर से जयकारा लगाना। 


Friday 9 December 2016

उद्धार करो माँ मेरा (38)



उद्धार करो माँ मेरा


उद्धार करो, उद्धार करो, माँ! मेरा भी उद्धार करो।
तू दयामयी, कल्याणी माँ संकट से मुक्ति दिलाती है। 
जो भी आता है शरण तेरी उसकी झोली भर जाती है। 
दारुण दुःख रोग ग्रसित हूँ,  माँ  उपचार  करो। 
पूजा अर्चना यज्ञ साधन हो पाती  नही आरती है। 
मैया मेरी जीवन नैया भव सागर में बल खाती है। 
माँ हाथों में पतवार तेरे है मेरा बेड़ा पार करो,  पार करो। 
माँ क्षमा करो अपराध मेरे तेरा बालक अज्ञानी है। 
माँ चरण शरण में आ न सका यह भी मेरी नादानी है। 
निर्भय कर  दो संसृति हर लो उपकार करो उपकार करो। 
उद्धार करो, उद्धार करो, माँ! मेरा भी उद्धार करो।

Wednesday 7 December 2016

माता तेरे चरणों में स्थान जो मिल जाये


माता तेरे चरणों में स्थान जो मिल जाये 
यह जीवन धन्य बने वरदान जो मिल जाये। 
सुनते है कृपा तेरी अनवरत बरसती है। 
श्रद्धालु ही पते है दुनिया तो तरसती है। 
करुणा रस की मुझको एक बूंद  जो मिल जाये। 
यह जीवन धन्य बने वरदान जो मिल जाये। 
 बड़ा  चंचल है प्रतिपल चलता रहता। 
भटकाता इट  उत है पूजा में नहीँ  लगता। 
निर्मल क्र दे मन माँ चरणो में ही लग जाये।
यह जीवन धन्य बने वरदान जो मिल जाये।
देवत्व के फूलो से माता झोलीभर दे 
भव भय से डर लगता मुझको निर्भय कर  दे। 
माता इस किंकर  पर किरिपा यदि हो जाये। 
यह जीवन धन्य बने वरदान जो मिल जाये। 

Monday 5 December 2016

आदि शक्ति माँ जगदम्बे


आदि शक्ति माँ जगदम्बे


आदि शक्ति माँ जगदम्बे तूने कैसी ये लीला रचाई। 
कहीं पे दुर्गा कहीं लक्ष्मी कहीं  पे  काली माई। 
भक्तों   कल्याण हेतु माँ रूप अनेको धारे। 
बांह पकड़ कर निज भक्तों को भव से पर उतारे। 
भक्तों की चिंता हरने को चिन्तपुरनी बनिआई। 
 कहीं पे दुर्गा कहीं लक्ष्मी कहीं  पे  काली माई। 
ऋषि मुनी भक्तों पे तेरे जब अत्याचार हुये। 
रणचण्डी बनकर माँ कूदी असुरों का संहार किये। 
चण्ड मुण्ड महिषासुर मारे चामुण्डा  बन आई। 
कहीं पे दुर्गा कहीं लक्ष्मी कहीं  पे  काली माई। 
जिसने तेरा नाम लिया माँ उसका ही कल्याण हुआ। 
कली के कलुष मिटाने को माँ वैष्णव बनकर आई। 
कहीं पे दुर्गा कहीं लक्ष्मी कहीं  पे  काली माई। 
चरण शरण जिसने ली माँ की उसको गोद उठाया। 
भव भय से निर्भय कर  माता परम धाम पहुँचाया। 
कृपा हुई माँ जगदम्बे की संसृति क्लेश मिटाई। 
कहीं पे दुर्गा कहीं लक्ष्मी कहीं  पे  काली माई।

Friday 2 December 2016

करती क्यों न मातु दया मुझ पर। 


यदि नाम दयामयी है तेरा करती क्यों न मातु दया मुझ पर। 
किस तरह पर होगी मैया जीवन की नैया बिच भवँर। 
नहि पूजा स्तुति मंत्र जंत्र नही आवाहन साधन कोई। 
सकलत्रि हरे माँ सिद्धि करे अब कृपा दृष्टि  कर  दे मुझ पर। 
तेरे चरण कमल की सेवा में विधिवत तत्पर में रह न सका। 
माँ ममतामयी क्षमा कर  दे बालक अबोध तेरा किंकर। 
में दिन हिन् नट क्षीन मलिन मति पापी महा पातकी हूँ। 
जय उमा रमा ब्राहाणी  माँ त्रय देवी  आकर। 
मंगला भद्र काली माता हे अरुण नयन खप्पर वाली। 
भूतार्ति हारिणी कालजयी रक्षा कर माँ मेरी आकर। 
निर्भय कारिणी भव भय हारिणी हे मातु वैष्णवी  दया करो। 
सद ज्ञान प्रदान करे माता भक्ती का भव भरे अन्दर।

Thursday 1 December 2016

नवदुर्गे माँ तुझे प्रणाम।

 

          नवदुर्गे माँ तुझे प्रणाम।

नौ नौ स्वरूप नव कीर्तिमान नवदुर्गे माँ तुझे प्रणाम। 
है दिव्य अनूप रूप सुंदर शक्तियां तुम्हें  मेरा प्रणाम। 
माँ प्रथम शैलपुत्री दिव्तीय  माँ ब्रह्मचारिणी भय हारिणि। 
तीसरी चन्द्र  घंटा चतुर्थ माता कुष्माण्ड जग तारिणि। 
सुर नर मुनि धरते सदा ध्यान हे मातु तुम्हें सत सत प्रणाम। 
पंचम स्कन्द माता षष्टि कात्यायिनी माँ कल्याण करे। 
माँ कालरात्रि सातवीं तथा अष्टम माँ गौरी ध्यान धरे। 
है दिव्य अनूप अनेक रूप शक्तियां मातु सत सत प्रणाम। 
है नवम सिद्धि धात्री माता दाता नव निधि रिद्धि  सिद्धि महान। 
पावन माँ के सब रूप पूज्य पूजता सभी को है जहान। 
करती माँ सबके पूर्ण काम हे मातु तुम्हें सत सत प्रणाम। 
कोढ़ी को काया देती माँ अंधे को  देती कमल नयन। 
बाँझिन को सुत कन्या को वर विध्यार्थी को विद्या प्रदान। 
निर्भय भक्तों  को विमल भक्ति शरणागत पाते  परम् धाम।

Wednesday 30 November 2016

शेरों वाली मैया

 शेरों  वाली मैया

लगा हुआ दरबार है भक्तों  की भरमार है।
आजा मेरी माता रानी तेरी जय जय कार है। 
शेरों  वाली मैया , भैया रूप की निराली है। 
मुंडो  की माला पहने माँ काली खप्पर वाली है। 
भक्तों  की पुकार है सच्चा ये दरबार हैं। 
ज्ञानी ध्यानी कोई न पावै माता तेरा पार  है। 
तू ही दुर्गा तू ही चन्द्रिका तेरा रूप विशाल है। 
 तू ही शारदा तू ही भवानी लक्ष्मी तू प्रतिपल है। 
महिमा अपरम्पार है सजा हुआ दरबार है। 
शुंभ निशुंभ दैत्य महिसाषुर का करती संहार है। 
रक्तबीज  आदिक सुर मारे किया मातु सुर काज है। 
तीनों लोकों  में माँ तेरा अटल चल रहा राज है। 
अदभुत बना सिंगार  सबसे करती प्यार है। 
जो भी तेरी शरण में आवै निर्भय बेड़ा  पर है।